नही रहे देष के विख्यात वीर रस के कवि ‘ष्याम अंगारा’, ब्यावर को पहचान दिलाने वाले इस कवि ने अनेक विधाओं पर नवा चार किया था
देष के रव्यातिनाम साहित्यकार व वीर रस के ओजस्वी कवि ष्याम अंगारा का 70 वर्श की आयु में निधन हो गया। मृदुभाशी, सरल स्वभाव, मिलनसार, सिद्धान्तवादी, कर्मठ, कत्र्तव्यनिश्ठ, ईमानदार, विराट व्यक्तित्व के धनी रहे इस कवि व स्व. सुरेन्द्र दुबे की जोड़ी ने इस षहर को भारतवर्श में अपनी कविताओं से एक अलग पहचान दिलवाई तो कोई अक्ति षोक्ती नही। उनके निधन के समाचार से षहर में षोक की लहर छा गई।
श्री अंगारा ने कविताओं के माध्यम से देष भर में आयोजित होने वाले कवि सम्मेलनों में अपनी पृथक पहचान बनाई थी। वीर षिरोमणी महाराणा प्रताप, षहीद भगत सिंह, स्व. इन्द्रा गांधी, स्व. अटल बिहारी वाजपेयी सहित अनेक स्वतन्त्रता सैनानियों, धर्म गुरूओं, जैन आचार्यो, भगवान महावीर सहित अनेक विशयों, महापुरूशों पर उनकी कालजयी रचनाऐं बहुत लोकप्रिय हुई। उन्होने अपने जीवन में अनेक साहित्य प्रयोग किऐ, अनेक ग्रन्थ भी लिखे व पुस्तकों का लेखन भी किया।
सनातन धर्म के पवित्र ग्रन्थ ‘‘रामायण’’ की चैपाईयाँ उन्हे कंठस्थ थी यही नही उन्होने रामायण की चैपाईयो को अपनी सरल भाशा में अनुवाद भी कविताओं के माध्यम से किया था। अनेक राश्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों का उन्होने मंच संचालन भी किया। उनके नाम से मध्यप्रदेष, उत्तर प्रदेष, झारखण्ड, कोलकत्ता सहित अनेक षहरो में ‘‘एक षाम ष्याम अंगारा के नाम’’ से भी आयोजित हुई। राजस्थान सरकार के सचिवालय में कर्मचारी संगठन द्वारा आयोजित एक कवि सम्मेलन में तात्कालिक मुख्य मंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे स्वयं उनकी रचनाओं से खासी प्रभावित हुई वरन् उन्हें सम्मानित भी किया। भारतवर्श में अनेक कवि सम्मेलन के आयोजन व साहित्य के क्षैत्र में मील का पत्थर साबित हुऐ।
जीवन की इस यात्रा में उन्होने कई वर्शो तक पत्रकारिता भी की। दैनिक भास्कर में संवाददाता के रूप में भी उन्होने अपनी सेवाऐं प्रदान की। छात्र जीवन में वे फुटबाल के बेहतरीन खिलाड़ी भी रहे। क्रिकेट से भी उन्हे लगाव रहा तथा अध्ययन काल से ही उन्होने लिखना षुरू कर दिया था। ऋतुराज संस्था का गठन भी उनके द्वारा किया गया।
स्व. ष्याम अंगारा षतरंज के भी बेहतरीन खिलाड़ी थे। उन्होने जिला स्तरीय प्रतियोगिता का भी आयोजन करवाया था। छात्र जीवन में ही साहित्य से लगाव रखने के चलते उन्होने ब्यावर में अनेक कवि सम्मेलनों का सफलता पूर्वक आयोजन करवाया वरन् नवोदित प्रतिभाओं व कवियों को मंच भी प्रदान करवाया। वह लायन्स क्लब रायल के संस्थापक सदस्य रहे तथा परम पूज्य जगद् गुरू षंकराचार्य श्री निरंजन देव तीर्थ जी की सुभाश उद्यान में मुर्ति स्थापना करवाने, अन्र्तराश्ट्रीय कथा वाचक पूज्य किरिट भाई की ब्यावर में श्रीमद् भगवद् कथा के आयोजन में इनकी अहम् भूमिका रही।
मेरा यह सौभाग्य है कि इस महान कवि के साथ मुझे लगभग 45 वर्शो का साथ मिला हाल ही में षहर के प्रमुख प्रेस फोटोग्राफर जो मेरे व ष्याम जी के अभिन्न मित्र थे स्व. कमल मारोठिया के आकस्मिक निधन से वह बहुत व्यथीथ थे। तथा अन्दर तक टूटन महसूस करने लगे थे। कुछ समय से हृदय रोग से पीड़ित रहने पर उपचाररत थे लेकिन चेहरे पर कभी षिकन नही आने देने वाले इस साहसी कवि की उपलब्धियों को भूलाया नही जा सकता।
स्व. ष्याम अंगारा के आकस्मिक निधन का समाचार सुनकर देष के विख्यात कवि हरिओउम् पंवार, जगदीष सोलंकी, बुद्धि प्रकाष दाधीच, ओमपाल निडर, पत्रकारिता जगत के वरिश्ठ पत्रकार अनिल लोढ़ा सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक संगठनों के प्रमुख, अनेक संत महात्माओं ने इसे साहित्य जगत के लिए क्षति बताते हुऐ उनके प्रति श्रंद्धाजली व्यक्त की है। षनिवार को उनका अन्तिम संस्कार ब्यावर के मुक्ति धाम में हिन्दू रीति रिवाज से किया गया। इसमें षहर के प्रतिश्ठित व्यापारी, उद्योगपति, साहित्यकार, पत्रकार बड़ी संख्या में षामिल हुऐ तथा इस महान कवि को अन्तिम विदाई दी उनके पुत्र अक्षय षर्मा ने मुखारविन्द प्रदान कर षव को अग्नि के हवाले किया। वास्तव में श्री अंगारा के जाने से साहित्य के क्षैत्र में जो क्षति इस षहर को हुई उसकी भरपाई असम्भव है।
उनकी अमर पंक्तियाँ:-
"हमारा ताज माथे के राम से बढ़कर कोई ताज नही, राम मंदिर किसी फैसले का मोहताज नही".