भीलवाड़ा। शहर विधायक अशोक कोठारी ने बजट अनुदान मांग सं. 56 व 45 उद्योग तथा वन एवं पर्यावरण पर भीलवाड़ा शहर की विभिन्न मांगो पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। सर्वप्रथम विधायक कोठारी भीलवाड़ा शहर के टेक्सटाइल उद्योग की समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया कि किस प्रकार पिछले कुछ समय से भीलवाड़ा से उद्योग नीमच मध्य प्रदेश में शिफ्ट हो रहे क्योंकि मुख्यतः वहां पर राजस्थान के मुकाबले बिजली की दर कम है, इसी के साथ वहां पर ब्याज अनुदान भी 5 से 6 प्रतिशत है और मध्य प्रदेश में 40–50 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी मिलती है। औधोगिक भूमि सुगमता से उपलब्ध होती है तथा वहां सरकार द्वारा उद्योग लगाने से संबंधित औपचारिकताएं तय सीमा में पूरी हो जाती है। मीडिया प्रभारी पंकज आडवाणी ने बताया कि, कोठारी ने भू उपयोग परिवर्तन के नियमों में भी सरलीकरण की मांग की और भू–उपयोग परिवर्तन को राज्य के बजाय जिला स्तर पर ही निस्तारित करने के लिए निवेदन किया। सरकार द्वारा गत वर्ष बजट में भीलवाडा को टेक्सटाइल पार्क देने के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया। साथ ही सरकार को निवेदन किया कि उक्त भूमि को केन्द्र सरकार के पी मित्रा पार्क की ही गाइडलाइन के अनुसार या उससे भी अधिक सुविधाएँ राज्य सरकार दे, रीको द्वारा प्लाट का विक्रय कर उ‌द्योगपतियो को विशेष सुविधाएं भी दी जानी चाहिए।


जिंदल का उठाया मुद्दा

जिंदल का मुद्दा उठाते हुए कोठारी ने कहा कि जिंदल और तत्कालीन नगर परिषद भीलवाड़ा के मध्य वर्ष 2011 में एमओयू हुआ था, जिसमें जिन्दल को गंदे पानी के एवज में आरओबी का निर्माण करना था। इसी के साथ वर्ष 2011 से 2025 तक तीन बार कंपनी द्वारा स्टील प्लांट लगाने हेतु सरकार से MOU किया पर धरातल पर अभी तक कुछ नहीं हो पाया है। कंपनी को अनुबंध अनुसार माइनिंग लीज़ के 2 वर्ष के भीतर ही स्टील प्लांट की स्थापना करनी थी और शहर के स्थानीय लोगों को रोज़गार प्रदान करना था परन्तु आज दिनांक तक कंपनी द्वारा एक भी कमिटमेंट को पूरा नहीं किया गया और यूपी, बिहार व हरियाणा से मजदूरों को लाकर ठेका प्रथा चला रखी है और साथ ही स्थानीय स्तर पर माइनिंग में भी गाइड लाइन की पालना नही की जा रही है। पुर व आस-पास क्षेत्र के लोगों के मकानों में दरारें भी आ चुकी है। जिंदल सॉ लिमिटेड द्वारा अपने CSR फण्ड में जो राशि का व्यय दिखाया गया है वह स्थानीय निकाय को अनुबंध में देय राशी है। एक ही राशि का दो जगह उपयोग करना wrong  टैक्स प्रैक्टिस कहलाता है। कोठारी ने मंत्री का ध्यान इस और आकर्षित करते हुए कहा कि जिंदल के सभी कमिटमेंट को पूरा करवाते हुए जिंदल की ठेका प्रथा समाप्त कराते हुए स्थानीय लोगो को रोजगार दिलाए और क्षेत्र के विकास और जल्द से जल्द एमओयू अनुसार आरओबी का निर्माण करावें। इसी के साथ कोठारी ने भीलवाड़ा शहर के नजदीक स्थित हमीरगढ़ इको पार्क को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु भी सरकार को सुझाव दिए, जिसमे अधिक से अधिक पर्यटक वहां आ सके तथा हमीरगढ़ हवाई पट्टी के आधुनिकी करण से वायुयान का आवागमन मार्ग भी प्रशस्त होगा तथा होटल व्यवसाय पर्यटन का नया केंद्र उभर कर आएगा। इसी के साथ वनखंड सालरा, पांसल, आरजिया आदि में वन विभाग की दीवार निर्माण करवाई जाए, जिससे की वन्य प्राणी सुरक्षित रह सके। साथ ही शहर में स्थित हरणी की पहाडियों को संरक्षित कर सौन्दर्यकरण करने हेतु सरकार का ध्यान आकर्षित किया, जिससे स्थानीय निवासियों को ट्रैकिंग, योग एवं प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। इसी के साथ हम सरकार का ध्यान चरागाह भूमि पर देना चाहेंगे, चरागाह भूमि केवल गौमाता के लिए ही नही बल्कि वातावरण को शुद्ध करने का कार्य भी करती है। चरागाह भूमि का प्रावधान हमारे पूर्वोजो ने पर्यावरण संतुलन, पशु-पक्षियों का आश्रय स्थल व जल स्तर को सुधारने हेतु चरागाह जमीन को छोड़ा गया था। वैसे तो सरकार द्वारा चरागाह के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके है पर अभी तक इसपर अमल नही किया गया है। हमारा सरकार से निवेदन है कि चरागाहों का विकास करवाकर पर्यावरण संतुलित किया जा सके।