चित्तौडगढ़ / प्रख्यात सांवलिया सेठ मंदिर में जहां प्रतिमाह दानदाताओं द्वारा करोड़ों रुपयों का नकद एवं सोने चांदी चढ़ावे के रूप में प्राप्त होता है, बावजूद उसके श्री सांवलिया सेठ मंदिर ट्रस्ट के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारियों की घोर लापरवाही व अनदेखी के चलते मंदिर में अव्यवस्थाओं का अम्बार है।

 

पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने सांवलिया सेठ मंदिर में दर्शन के बाद बताया कि सांवलिया जी मंदिर में व्यवस्थाओं का अभाव है, धन का नहीं। मंदिर के चारों ओर मार्गों पर जगह-जगह गंदगी एवं पॉलिथिन बिखरी हुई रहती है एवं परिक्रमा के दौरान दर्शनार्थियों को परिक्रमा क्षेत्र में बने शौचालय एवं मूत्रालय से बदबू आती है एवं फर्श भी जगह-जगह से गंदा है। दर्शनार्थियों के जूतों के लिए रेक की व्यवस्था नहीं होकर जूते बिखरे हुए रहते है। मंदिर परिसर में बने उद्यान में जगह-जगह खरपतवार एवं गाजर घास उगी हुई है। जाजू ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा संचालित प्रसाद के 4 विक्रय केन्द्र है जिनमें से 2-3 विक्रय केन्द्र बंद ही रहते हैं एवं दर्शनार्थियों को घंटो तक लाईन में लगने के बाद भी मठरी उपलब्ध नहीं हो पाती है, लड्डुओं का साईज छोटा कर दिया गया है, जबकि दर्शनार्थी मंदिर द्वारा तय शुदा दर पर प्रसाद लेने के इच्छुक रहते हैं।

 

जाजू ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, जिला कलक्टर चित्तौडगढ़ आलोक रंजन, देवस्थान विभाग आयुक्त भवानी सिंह देथा को पत्र लिखकर प्रसाद की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए सभी विक्रय केंद्र संचालित किए जाने, दर्शनार्थियों के व्यवस्थित जूते रखने हेतु रेके बनवाने, परिक्रमा में बने बाथरूमों एवं फर्श की अत्याधुनिक साधनों से सफाई करवाने, उद्यान का रखरखाव व्यवस्था समुचित करवाने की मांग की है। जाजू ने जिला कलक्टर को सुझाव देते हुए तिरुपति मंदिर की तर्ज पर ट्रस्ट के फण्ड से अत्याधुनिक सड़क मार्ग बनवाने, सशुल्क पार्किंग की व्यवस्थाओं में सुधार करने, मैसूर के वृन्दावन उद्यान की तर्ज पर फव्वारेयुक्त उद्यान विकसित करने, दर्शनार्थियों के लिए रुकने हेतु उत्कृष्ट सशुल्क व्यवस्थाएं करने एवं जनहित के अन्य कार्यों का सुझाव दिया।