भोपाल/ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेन्ट्रल जोनल बैंच भोपाल के न्यायाधिपति शिवकुमार सिंह व एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. ए. सेंथिल की बैंच ने भीलवाड़ा निवासी पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की अधिवक्ता लोकेन्द्र सिंह कच्छावा के मार्फत दायर जनहित याचिका में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा काटे गये पेड़ों के बदले नियमानुसार 3 गुने, 5 गुने एवं 10 गुने पौधे नहीं लगाने एवं सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में जीवित पौधों की अत्यधिक कम संख्या के मामले में चेयरमैन, नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इण्डिया नई दिल्ली, मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजस्थान, क्षेत्रीय अधिकारी एनएचएआई जयपुर एवं राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।

 

जाजू ने याचिका में बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के दौरान एनएचएआई द्वारा वृक्षारोपण कार्य में नियमों की उपेक्षा की गई है, अनेक राजमार्गों पर काटे गये पेड़ों से भी कम संख्या में पौधे लगाये गये हैं, जिन प्रजातियों के पौधे काटे, उन स्थानीय प्रजातियों के पौधे नहीं लगाकर झाड़ियां लगा दी गई है तथा काटे गए पेड़ों के बदले लगाए जाने वाले पेड़ों की संख्या के संबंध में कोई समान नीति होने, रखरखाव व्यवस्था नहीं करने के कारण लगाये गये पौधों के जीवित रहने की दर बहुत कम है। वन मंत्रालय द्वारा मॉनिटरिंग मैकेनिज्म और ऑडिट हेतु फोरेस्ट डिपार्टमेन्ट को निर्देशित करने के बावजूद वन विभाग द्वारा मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित नहीं किया गया है। प्रदेश में राजमार्ग बनाने के लिए बड़ी संख्या में काटे गये लाखों विशालकाय पेड़ों के बदले नियमानुसार पौधे लगाकर पल्लवित कर बड़े करने पर ध्यान नहीं दिये जाने से पौधे जीवित ही नहीं बचे हैं जिससे प्रदूषण की समस्या गहरा रही है। राजमार्गों के दोनों ओर पौधे अधिक प्राणवायु और अधिक उम्र के पौधे लगाने के बजाय डिवाईडर में झाड़ियां रोपित कर पेड़ों की संख्या में उनकी गिनती करा दी गई है। जाजू ने बताया कि काटे गये पेड़ों के बदले नियमानुसार पौधारोपण में अब 8.5 लाख से अधिक पौधे और लगाकर उन्हें बड़ा करने की आवश्यकता है।

 

जाजू ने याचिका में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा 2015 में जारी मुख्य राजमार्गों, वृक्षारोपण, प्रत्यारोपण, सौंदर्गीकरण और रखरखाव नीति एवं पर्यावरण नीति दिशानिर्देश 2024 का उल्लेख करते हुए एनएचएआई द्वारा नीति का उल्लंघन किया जाना बताया है। उन्होंने कहा कि राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण योजनाओं को तैयार करते समय अक्सर एवेन्यू प्लांटेशन और लैंडस्केप सुधार के लिए आवश्यक भूमि पर विचार नहीं किया जाता है. जिसके कारण राजमार्ग निर्माण के बाद वृक्षारोपण के लिए पर्याप्त जगह नहीं बचती है। जाजू ने बताया कि मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी।